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Bharatiya Kisan Union

नहीं होगी कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी, केंद्र ने किया इंकार

नहीं होगी कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी, केंद्र ने किया इंकार

केंद्र ने कपास की एमएसपी (MSP) में बढ़ोतरी करने से साफ़ इंकार कर दिया है. वहीं किसानों के मुताबिक उपज के लिए दी जाने वाली कीमतें बढ़ी हुई लागतों की भरपाई नहीं कर पा रही हैं. इसके अलावा खराब क्वालिटी वाले बीज और कीट की वजह से फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इन सब के बीच केंद्र सकरार का कहना है कि वह भारत में कपास के होने वाले उत्पादन और इसकी मांग के मुताबिक इसपर मिलने वाली एमएसपी में बढ़ोतरी के बारे में विचार करेगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी कपास की घरेलू कीमतें एमएसपी से भी कहीं ज्यादा है. कीमतों में कमी आने पर एमएसपी का परिचालन शुरू किया जा सकता है. केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस वक्त यह जरूरी नहीं है कि एमएसपी के दाम को निर्धारित करने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं. साल 2022 से 2023 में खरीफ के सीजन के लिए एक मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी करीब 6 हजार 80 रूपये है. लेकिन इस बीच ज्यादातर किसानों का कहना है कि उन्हें उपज के लिए एमएसपी से बेहद कम कीमत मिली. इसके अलावा बीज से लेकर कीटनाशक और उर्वरकों जैसी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए यह बिलकुल भी पर्याप्त नहीं है.

कुछ ऐसी है किसानों की मांग

कपास किसान की मानें तो करीब चार सालों से कपास की खेती में कुछ ख़ास आय नहीं हुई, जिस वजह से उन्होंने करीब 60 फीसद जमीन पर कपास की खेती की ही नहीं. लेकिन इस वक्त कपास की उपज से किसान को करीब 8 हजार रुपये से भी ज्यादा की कमाई प्रति क्विंटल के हिसाब से हुई. देखा जाए तो यह कमाई एमएसपी से भी ज्यादा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 मार्च के महीने में किसानों को 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मिले थे, लेकिन कपास का उत्पादन बेहद कम था. बता दें ज्यादा लागत की वजह से एमएसपी को करीब 10 हजार रुपये तक प्रति क्विंटल के हिसाब से होना चाहिए. ये भी पढ़ें: कपास की बढ़ती कीमतों पर भी किसान को क्यों नहीं मिल पा रहा लाभ

इन राज्यों में है कुछ ऐसा हाल

कपास की फसल की कटाई पंजाब में चुकी है. पंजाब के किसानों को प्रति क्विंटल के हिसाब से 8 हजार दो सौ रूपये दिया जा रहा है, वहीं एक एकड़ के लिए केवल तीन क्विंटल ही उत्पान हो रहा है, जहां पर परेशान किसानों ने मुआवजे की मांग की है. बात महराष्ट्र की करें तो, यहां पर 12 हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को बिक्री मिल रही है. जानकारी के लिए बता दें की पिंक बॉलवर्म (गुलाबी सुंडी) के हमले की वजह से कपास का उत्पादन काफी कम हो रहा है जिस वजह से किसानों कपास के उचित एमएसपी को निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसानों ने कपास के आयात पर भी रोक लगाने की मांग की है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को भारत बंद का किया आह्वान

संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी को भारत बंद का किया आह्वान

किसानों के दिल्ली चलो मार्च के बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 16 फरवरी को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है। एसकेएम ने अन्य किसान संगठनों और किसानों से इस भारत बंद में शामिल होने का अनुरोध किया है। संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद 16 फरवरी को सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा।

बतादें, कि मंगलवार से किसानों का दिल्ली चलो मार्च प्रारंभ हुआ है और प्रदर्शनकारी कृषकों व सुरक्षा बलों के मध्य हिंसक झड़प देखने को मिली है। झड़प में बहुत सारे जवानों के घायल होने का भी समाचार है।

भारत कितने बजे तक बंद रहेगा ?

संयुक्त किसान मोर्चा और अन्य ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद 16 फरवरी को सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक जारी रहेगा। इसके अलावा देशभर के किसान मुख्य सड़कों को दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक जाम करेंगे। इस दौरान, खासकर पंजाब में शुक्रवार को ज्यादातर राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग चार घंटे के लिए पूरी तरह से बंद रहेंगे।

ये भी पढ़ें: किसानों के 13 फरवरी 'दिल्ली चलो मार्च' के आह्वान पर दिल्ली बॉर्डर पर धारा 144 लागू

किसानों की मांगें क्या-क्या हैं ?

दरअसल, किसान जिन मांगों को लेकर भारत बंद का आह्वान कर रहे हैं, उनमें किसानों के लिए पेंशन, फसलों के लिए एमएसपी, पुरानी पेंशन योजना को लागू करने और श्रम कानूनों में संशोधन को वापस लेने समेत अन्य मांगें शामिल हैं। इसी वजह से भारत बंद का आह्वान किया गया है। वहीं, पीएसयू का निजीकरण नहीं करना, कार्यबल का अनुबंधीकरण नहीं करना, रोजगार की गारंटी देना आदि किसानों की मांग में शामिल हैं।

भारत बंद के दौरान किन सेवाओं पर प्रभाव पड़ेगा ?

भारत बंद दौरान परिवहन, कृषि गतिविधियां, मनरेगा ग्रामीण कार्य, निजी कार्यालय, दुकानें और ग्रामीण औद्योगिक व सेवा क्षेत्र के संस्थान बंद रहेंगे। हालांकि, हड़ताल के दौरान आपातकालीन सेवाएं जैसे एम्बुलेंस का संचालन, विवाह, मेडिकल दुकानें, बोर्ड परीक्षा देने जा रहे छात्र आदि को नहीं रोका जाएगा।